वैदिक गणित के सूत्र कितने होते है (Vaidik Ganit Ke Sutra), हमारे भारत के इतिहास में गणित के कई प्रकार है | जिसमे वैदिक गणित को भी सम्मलित किया गया है | वैदिक गणित के सूत्र, वैदिक गणित का इतिहास, वैदिक गणित के महत्त्व आदि के बारें में जानेंगे | हमारे भारत देश में ऐसे कई महापुरष पैदा हुए, जिन्होंने गणित में अपना अस्मरणीय योग्यदान प्रदान किया है | जैसे- शून्य की खोज आर्यभट द्वारा की गयी, ऐसे ही कई गणितज्ञ ने गणित में खूब सहयोग प्रदान किया |
लेकिन आज हम इन महापुरषों के सहयोग की जगह वैदिक गणित क्या है (Vaidik Ganit Kya Hai), वैदिक गणित के सूत्र (Vaidik Ganit ke Sutra), वैदिक गणित का इतिहास (Vaidik Ganit Ka Itihas), वैदिक गणित का महत्त्व (Vaidik Ganit Ka Mahtv) और वैदिक गणित के सूत्र PDF (Vaidik Ganit Ke Sutra PDF) के बारें में जानेंगे |
वैदिक गणित क्या है (Vaidik Ganit Kya Hai)?
गणित के सवाल आपसे कई प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा (Competition Exam) में पूंछे जाते है, लेकिन गणित का एक प्रकार ऐसा भी है | जिससे हमारे देश के लोग भली-भांति परिचित नहीं है | वैदिक गणित (Vaidik Ganit) एक प्रकार की विद्या है, जिसमे सवाल के अंदर छुपे उत्तर को ढूंढ सकते है | वैदिक गणित (Vaidik Ganit) को आप एक प्रकार की Trick समझ सकते है, जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से किसी भी सवाल के उत्तर दे सकते है | वैदिक गणित के सवालों के उत्तर जानने के लिए आपको वैदिक गणित के सूत्र (Vaidik Ganit Ke Sutra) का ज्ञान होना आवश्यक है | (गणित के सूत्र क्या होते है?)
Note :- अगर आप जाना चाहते है |
- बीजगणित के सूत्र कैसे याद करें?
- गणित क्या है? गणित का अर्थ और परिभाषा क्या है?
- गणित में कमजोर छात्र क्या करें?
- भाग (Divide) कैसे करते है?
वैदिक गणित के जनक कौन है?
वैदिक गणित (Vaidik Ganit) के जनक की बात की जाएँ, तो वैदिक गणित के जनक शंकराचार्य स्वामी कृष्ण भारती जी है | इनका जन्म 14 मार्च 1884 को हुआ | ये जगन्नाथपूरी के शंकराचार्य थे | इन्होने वैदिक गणित की खोज करके पुरे विश्व को आश्चार्यचकित कर दिया और इन्होने वैदिक गणित की खोज करके गणित में अपना अस्मरणीय योग्यदान प्रदान किया है | शंकराचार्य जी की मृत्यु 2 फरवरी 1960 को हुई थी | शंकराचार्य द्वारा वैदिक गणित के 16 सूत्र प्रदान किये गए है, जिनकी सहायता से वैदिक गणित के सवाल को आसानी से हल किया जा सकता है |
वैदिक गणित का इतिहास?
वैदिक गणित क्या है (Vaidik Ganit Kya Hai) और वैदिक गणित के जनक कौन थे के बारें में तो आप जानते ही है | आइये अब हम वैदिक गणित के इतिहास के बारें में जानते है | वैदिक गणित की खोज शंकराचार्य स्वामी कृष्ण भारती द्वारा द्वारा 1965 में ‘वैदिक गणित’ नाम की पुस्तक में सूत्र देकर किया गया है |
वैदिक गणित के सूत्र (Vaidik Ganit Ke Sutra)?
वैदिक गणित के सूत्र कितने होते है? की बात की जाएँ | तो वैदिक गणित के सूत्र (Vaidik Ganit Ke Sutra) 16 होते है और वैदिक गणित के उपसूत्र 14 उपसूत्र दिए गए है | आइये में आपको वैदिक गणित के सूत्र कितने होते है (Vaidik Ganit Ke Sutra) के बारें में बताता हूँ |
वैदिक गणित के 16 सूत्र (Vaidik Ganit Ke 16 Sutra)?
वैदिक गणित के 16 सूत्र निम्न है:-
- एकाधिकेन पूर्वेण
- निखिल नवतश्चरम दशत:
- ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम्
- परावर्त्य योजयेत्
- शून्यं साम्यसमुच्चये
- (आनुरूप्ये) शून्यमन्यत्
- संकलनव्यवकलनाभ्याम्
- पूरणापूरणाभ्याम्
- चलनकलनाभ्याम्
- यावदूनम्
- व्यष्टिसमष्टिः
- शेषाण्यंकेन चरमेण
- सोपान्त्यद्वयमन्त्च्यम्
- एकन्यूनेन पूर्वेण
- गुणितसमुच्चयः
- गुणकसमुच्चयः
वैदिक गणित एक प्राचीन भारतीय गणित है जो वैदिक साहित्य से संबंधित है। यह गणित ज्योतिष और यज्ञों से जुड़ा हुआ है। वैदिक गणित के कुछ सूत्र निम्नलिखित हैं:
- एकाधिकेन पूर्वेण: इस सूत्र के अनुसार, यदि हम एक संख्या को एकाधिक रूप से जोड़ते हैं, तो हम उसके पूर्व की संख्या को एक अधिक कर सकते हैं। जैसे- 45 + 17 = (45 + 10) + 7 = 52 + 7 = 59
- निखिलं नूनम् इति गणितम्: इस सूत्र के अनुसार, अगर हम किसी संख्या से 0 को गुणा करते हैं, तो हमें वही संख्या मिलती है। जैसे- 345 x 0 = 0
- उन्नयनं तीर्थयति: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या को एक समान संख्या से जोड़ने से उसका उन्नयन होता है। जैसे- 37 + 37 = 74
- द्वन्द्वयोगः: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं का योग उनमें से एक समान अंशों के योग के बराबर होता है, जो उन्हें अधिक करते हुए आते हैं। जैसे- 48 + 52 = (48 + 2) + (52 – 2) = 50 + 50 = 100
- व्यस्तिभ्यः शेषं लब्धवारे च: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं का भाग लेने से, भाग और शेष को एक साथ लिखना चाहिए। जैसे- 67 ÷ 8 = 8 शेष 3
- उपस्थापयेर्द्वयमन्त्ययोः: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं को उनके द्विगुणा और अंतिम अंक के योग से गुणा करना चाहिए। जैसे- 37 x 43 = (2 x 3) और 21 = 1591
- समुच्चयः: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या को एक समान संख्या से जोड़ने से उसका उन्नयन होता है। जैसे– 24 + 24 = 48
- शेषेण शेषं योज्यते: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं का भाग लेने से, शेष को दूसरी संख्या के साथ जोड़ना चाहिए। जैसे- 89 ÷ 5 = 17 शेष 4; इसलिए 4 + 5 = 9
- सुन्यं साध्यं न विच्याति: इस सूत्र के अनुसार, किसी संख्या को 0 से विभाजित नहीं किया जा सकता है। जैस- 56 ÷ 0 = असीम (अनंत)
- एकाधिकेन पूर्वेण: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं का जोड़ने से पहले एक संख्या को उसके अगले संख्या से जोड़ना चाहिए। जैसे- 23 + 56 = (23 + 1) + 55 = 79
- उन्नयनटीकरणाभ्याम्: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या को एक समान संख्या से जोड़ने और फिर दोनों को दूसरे संख्या से घटाने से उसका उन्नयन होता है। जैसे- 46 + 46 = (46 + 4) – 4 = 92
- यावदुनं तावदशेषं: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या के विशिष्ट भिन्न करने से उसका शेष मिलता है। जैसे, 127 – 30 = 97
- आद्यादशमाद्यं मध्यमं: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं का औसत मध्यम संख्या होता है, जो उनके आदि और अंत संख्याओं का योग औसत लिया गया होता है। जैस- (23 + 57) ÷ 2 = 40
- निखिलं नवतश्चरं दशतश्च: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या का वर्ग उससे 10 अधिक होने पर उसका वर्ग नौ से घटा देता है। जैसे- 13² = (13 + 3) × 10 + 9 = 169
- उपस्थापयेद्द्विगुणं: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या को दोगुना करने से उसका उपस्थापन होता है। जैसे- 12 × 2 = 24
- गुणान्नखलु गुण्यात: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या के दो भागकर करने से उसका गुणा मिलता है। जैसे- 24 ÷ 3 × 25 = 200
- नवस्थानात् सुद्धिकरणं: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या के नव अंकों में से अंतिम अंक के अलावा सभी अंकों को एक समान मात्रा में जोड़ने से उसकी सुद्धि होती है। जैसे- 23 + 777 = 800
- द्वन्द्वयोगः: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या के अंतिम अंक को उसके पहले अंक से जोड़ने से उसका द्विगुणा होता है। जैसे- 26 × 2 = 52
- योगितासमूहः: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं को उनकी समूह के साथ जोड़ने से उनका योग मिलता है। जैसे- 37 + 63 = 100
- व्यासश्च शुन्यमन्त्रश्च: इस सूत्र के अनुसार, एक वृत्त का व्यास उसकी वर्गमूल की दोगुनी होती है और उसके लिए शुन्य का उपयोग किया जाता है। जैसे- वृत्त का व्यास = 10, तो उसका वर्गमूल = √100 = 10 और व्यास की दोगुनी = 20
- उन्नयनद्वयम्: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं का योग उनके मध्य बीच के एक संख्या का दोगुना होता है। जैसे- 28 + 32 = 60, इसमें मध्य बीच का संख्या 30 है और उसका दोगुना 60 है
- अंत्ययोग्यता: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या के अंतिम अंक के योग से यदि 10 या उससे अधिक मिलता है तो उस संख्या से उस योग को घटा देने से अंतिम अंक में 0 लगता है। जैसे- 47 – 7 = 40
- लोपनस्थानयोः समीकरणं: इस सूत्र के अनुसार, दो समीकरणों में से पहले समीकरण की एक तरफ से उस समीकरण में मौजूद संख्याओं को घटाकर दूसरे समीकरण की उसी तरफ संख्याओं को जोड़ने से दोनों समीकरणों के समान अंश मिलते हैं। जैसे- x + 5 = 10 और x – 3 = 4 के लिए x = 6
- द्वन्द्वयोगः: इस सूत्र के अनुसार, दो संख्याओं के बीच का योग दोनों संख्याओं के मध्य बीच की संख्या से दोगुना होता है। जैसे- 14 + 16 = 30, इसमें मध्य बीच की संख्या 15 है और उसका दोगुना 30 है
- वर्गाकारः: इस सूत्र के अनुसार, एक संख्या का वर्ग उस संख्या के दो समान भागों का गुणा होता है, जिनका योग उस संख्या के दोगुने से एक कम होता है। जैसे- 12² = 6 x 18 – 12
- योगश्च घातश्च: इस सूत्र के अनुसार, (a+b)² = a² + 2ab + b² और (a-b)² = a² – 2ab + b² होते हैं। जैसे- (3+4)² = 3² + 2 x 3 x 4 + 4² = 49 और (3-4)² = 3² – 2 x 3 x 4 + 4² = 1
वैदिक गणित के उपसूत्र (Vaidik Ganit Ke Upsutra)?
वैदिक गणित के 14 उपसूत्र (Vaidik Ganit Ke Upsutra) निम्न है:-
- आनुरूप्येण
- शिष्यते शेषसंज्ञः
- आधमाधेनान्त्यमन्त्येन
- केवलैः सप्तकं गुण्यात्
- वेष्टनम्
- यावदूनं तावदूनं
- यावदूनं तावदूनीकृत्य वर्गं च योजयेत्
- अन्त्ययोर्द्दशकेऽपि
- अन्त्ययोरेव
- समुच्चयगुणितः
- लोपनस्थापनाभ्यां
- विलोकनं
- गुणितसमुच्चयः समुच्चयगुणितः
- ध्वजांक
वैदिक गणित के सूत्र PDF (Vaidik Ganit Ke Sutra PDF)? Link
वैदिक गणित के महत्व क्या है? (Vaidik Ganit Ka Mahatva)?
वैदिक गणित के सूत्र (Vaidik Ganit Ke Sutra) तो आप जान ही चूंके है | आइये अब हम वैदिक गणित के महत्व (Vaidik Ganit Ka Mahatva) के बारें में जानते है |
- वैदिक गणित हमारी प्राचीन भारतीय पद्द्ति की है, जिस कारण लोग इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित होते है | इसको बहुत ही आसानी से सीखा या सिखाया भी जा सकता है |
- वैदिक गणित के सभी सवालो को बिना Calculator और बिना Pen Paper के आसानी से हल किये जा सकते है |
- वैदिक गणित के सूत्र (Vaidik Ganit ke Sutra) से समय की बचत होती है और साथ ही इसके सवालों को हल मौखिक रूप में ही आसानी से हल किया जा सकता है |
- वैदिक गणित के सवालों को हल करने की आप थोड़ा अभ्यास करके इन्हे और जल्दी और आसानी से हल कर पाएंगे |
FAQs-
1. वैदिक गणित का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर- वैदिक गणित का मानस गणित के नाम से भी जाना जाता है |
2. वैदिक गणित के कितने सूत्र है?
उत्तर- वैदिक गणित के 16 सूत्र होते है |
3. वैदिक गणित के जनक स्वामी कौन है?
उत्तर- वैदिक गणित के जनक शंकराचार्य स्वामी कृष्ण भारती है |
4. वैदिक गणित की खोज कब हुई?
उत्तर- वैदिक गणित की खोज 1965 में हुई थी |
5. वैदिक गणित के कितने स्तर होते है?
उत्तर- वैदिक गणित के 4 स्तर होते है |