Samas Kise Kahate Hain? | समास की परिभाषा, भेद, उदाहरण |

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हेलो दोस्तों आपका स्वागत है, आज हम बात करेंगे | | समास की परिभाषा क्या है, समास के कितने भेद होते है और समास के उदाहरण क्या है (Samas Kise Kahate Hain) समास (Samas) हिंदी व्याकरण का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है और जहाँ भी आपकी हिंदी व्याकरण की परीक्षा होती है, वहाँ आपसे समास से सम्बंधित प्रश्न अवश्य पूछे जाते है | समास से सम्बंधित प्रश्न आपसे Normal Exam (साधारण परीक्षा) के साथ-साथ Competition Exam (प्रतियोगता परीक्षा) में भी पूछे जाते है, इसलिए आपको समास के बारें में पता होना चाहिए | इसलिए आइये अब हम Samas Kise Kahate Hain के बारें में जानते है | 

समास किसे कहते है? (Samas Kise Kahate Hain)-

Samas Kise Kahate Hain– जब ऐसे दो या दो से अधिक शब्द जिनका आपस में संबंध होता है, तो ऐसे सार्थक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाने को ही समास (Samas) कहते है | 

उदाहरण-

  1. महान आत्मा- महात्मा 
  2. जन्म से लेकर-आजन्म 
  3. शक्ति के अनुसार- भरपेट 
  4. कमल के समान चरण- चरणकमल 

समास की परिभाषा क्या है? (Samas Ki Paribhasha)-

Samas Ki Paribhasha– दो या दो से अधिक आपस में संबंध रखने वाले शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास (Samas) कहते हैं | 

हम समास की सहायता से कम शब्दों को मिलाकर बड़ा अर्थ प्रकट कर सकते है | समास के 2 पद होते है | 

  1. पूर्वपद 
  2. उत्तरपद 

अब आप Samas Kise Kahate Hain और Samas Ki Paribhasha के बारे में जान चुके है और अब आप समास के बारें में अच्छे से समझ गए होंगे | आइये अब हम समास विग्रह क्या है, के बारें में जानते है | 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

समास विग्रह किसे कहते है? (Samas Vigrah)-

समान शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना ही समास विग्रह (Samas Vigrah) कहलाता है | समास विग्रह (Samas Vigrah) के पश्चात समान शब्दों का लोप हो जाता है | 

उदाहरण-

  • देशवासी- देश के वासी 
  • तीर्थराज- तीर्थों का राजा 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

समास के कितने भेद है? (Samas Ke Prakar)-

Samas Ke Kitne Bhed Hote Hain या Samas Ke Prakar की बात की जाएँ, तो Samas के 6 भेद होते है, जो निम्न है | 

  1. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
  2. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) 
  3. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
  4. द्विग समास (Dvigu Samas)
  5. द्वंद्व समास (Dwand Samas)
  6. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)

1. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)-

Tatpurush Samas Kise Kahate Hain– जिस समास में पूर्वपद गौण होता है और उत्तरपद प्रधान होता है, वह तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) कहलाता है | 

तत्पुरुष समास के उदाहरण (Tatpurush Samas Ke Udaharan)-

तत्पुरुष समास के उदाहरण (Tatpurush Samas Ke Udaharan) निम्न है |-

  • राजा का कुमार- राजकुमार 
  • धर्म का ग्रन्थ- धर्मग्रंथ 
  • हाथों के लिए कड़ी- हथकड़ी 
  • शिल्प को बनाने वाला- शिल्पकार 
  • रचना को करने वाला- रचनाकार 

तत्पुरुष समास के भेद (Tatpurush Samas Ke Bhed)-

Tatpurush Samas Ke Bhed– तत्पुरुष समास के 6 भेद होते है, जो निम्न है | 

1. कर्मतत्पुरुष- इस तत्पुरुष समास में दो पदों के बीच लगने वाले ‘को’ को हटा देते है, उसे ही कर्म तत्पुरुष कहते है |

उदाहरण- गगन को चूमने वाला- गगनचुंबी, रथ को चलाने वाला- रथ चालक, ग्रन्थ को लिखने वाला- ग्रंथकार आदि | 

2. करण तत्पुरुष- इस समास में ‘से’ और ‘के द्वारा’ के लोप से यह समास बनता है, इस समास को करण तातुरुष समास कहते हैं | 

उदाहरण- 

बाल्मीकि के द्वारा रचित- बाल्मिकिरचित, कर्म से हीन- कर्महीन, मन से चाहा- मनचाहा आदि | 

3. संप्रदान तत्पुरुष- इस समास के ‘के लिए’ लोप हो जाता है, जिससे इस संप्रदान तत्पुरुष समास बनता है | 

उदाहरण- सत्य के लिए आग्रह- सत्याग्रह, स्नान के लिए घर- स्नानघर, प्रयोग के लिए शाला- प्रयोगशाला आदि | 

4. अपादान तत्पुरुष- इस समास में ‘से’ (किसी चीज़ से अलग होने के भाव) लुप्त हो जाता है, इस समास को अपादान तत्पुरुष समास कहते है | 

उदहारण- 

धन से हीन- धनहीन, देश से निकाला- देशनिकाला, पथ से भ्रष्ट- पथभ्रष्ट आदि | 

5. सम्बन्ध तत्पुरुष- इस समास में ‘का’, ‘के’, ‘की’ के लुप्त होने से इस समास का निर्माण होता है, इस समास को सम्बन्ध तत्पुरुष समास कहते है | 

उदाहरण- राजा की सभा- राजसभा, विद्या का सागर- विद्यासागर, पर के अधीन- पराधीन आदि | 

6. अधिकरण तत्पुरुष- इस समास में ‘में’ और ‘पर’ के लोप से यह समास बनता है, इस समास को अधिकरण तत्पुरुष समास कहते है | 

उदाहरण- जलसमाधि- जल में समाधि- जलसमाधी, आप पर बीती- आपबीती, गृह में प्रवेश- ग्रहप्रवेश आदि | 

2. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)

 जिस समास का पहला पद अव्यय हो और उसके सयोंग से बाकि सभी पद भी अव्यय बन जाए, उस समास को अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) कहते है | अव्ययीभाव समास के पहले पद में अनु, आ, प्रति, यथा, हर, भर आदि शब्द आते है | 

अव्यय किसे कहते है? 

ऐसे शब्द जिन पर काल, कारक, लिंग आदि शब्दों से कोई प्रभाव न पड़ें, ऐसे अपरिवर्तित शब्द को अव्यय कहते है | 

अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav Samas Ke Udaharan)-

अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav Samas Ke Udaharan) निम्न है |-

  • दिन-दिन- प्रतिदिन 
  • पेट भर के- भरपेट 
  • रूचि के अनुसार- यथारूचि 
  • प्रत्येक वर्ष- प्रतिवर्ष 
  • शक्ति के अनुसार- यथाशक्ति आदि | 

3. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)-

Karmadharaya Samas Kise Kahate Hain- जिस समास का पहला पद विशेषण होता है और दूसरा पद विशेष्य होता है और एक पद उपमान होता है और एक उपमेय होता है | ऐसे समास को ही कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) कहते है | 

कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) की पहचान है, कि उसका विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच में ‘है जो’ या ‘के समान’ आता है | 

कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmadharaya Samas Ke Udaharan)-

कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmadharaya Samas Ke Udaharan) निम्न है | –

  • महान है जो देव- महादेव 
  • कमल के समान कर- करकमल 
  • सिंह रूपी नर- नरसिंह 
  • नव है जो युवक- नवयुवक 
  • नीला है जो कमल- नीलकमल 

4. द्विगु समास (Dvigu Samas)-

ऐसा समास जिसका पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और जिसमे हमे समूह, समाहार का बोध हो | ऐसे समास को द्विगु समास (Dvigu Samas) कहते है | 

द्विगु समास के उदाहरण (Dvigu Samas Ke Udaharan)-

द्विगु समास के उदाहरण (Dvigu Samas Ke Udaharan) निम्न है |-

  • सात टापुओं का समूह- सप्त टापू 
  • दो पहरों का समूह- दोपहर 
  • सौ सालो का समूह- शताब्दी 
  • पांच तंत्रों का समाहार- पंचतंत्र 
  • सात दिनों का समूह- सप्ताह 

5. द्वंद समास (Dwand Samas)-

जिस समास के दोनों पद प्रधान होते है, और दोनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’ या ‘एवं‘आदि योजक लुप्त हो जाएँ, उस समास को द्वंद समास (Dwand Samas) कहते है | इसमें दोनों सामासिक पदों के बीच में ‘-‘ का चिह्न लगाया जाता है | 

द्वंद समास के उदाहरण (Dwand Samas Ke Udaharan)-

द्वंद समास के उदाहरण (Dwand Samas Ke Udaharan) निम्न है |-

  • आचार और विचार- आचार-विचार 
  • गंगा और यमुना- गंगा-यमुना 
  • अन्न और जल- अन्न-जल 
  • देश और विदेश- देश विदेश 
  • पाप और पुण्य- पाप-पुण्य 

6. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)-

इस समास के दोनों पद ही प्रधान नहीं होते यानि कि दोनों पद ही अप्रधान होते है और इसके समस्तपद के अर्थ के अतरिक्त कोई और अर्थ प्रकट होता है | तो उस समास को बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) कहते है | 

बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas Ke Udaharan)-

बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas Ke Udaharan) निम्न है |-

  • गज से आनन वाला- गजानन 
  • चार है भुजाएं जिसकी- चतुर्भुज 
  • मुरली धारण करने वाला- मुरलीधर 
  • मृत्यु को जीतने वाला- मृत्युंजय 
  • महान वीर है जो- महावीर 

FAQs- 

1. समास किसे कहते है कितने प्रकार के है? 

उत्तर- दो या दो से अधिक ऐसे शब्द जिनका आपस में संबंध होता है, तो ऐसे शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाने को ही समास (Samas) कहते है | समास 6 प्रकार के होते है, जिनका विस्तारपूर्वक वर्णन आपको ऊपर इस पोस्ट में कर दिया है | 

2. समास शब्द का क्या अर्थ होता है?

उत्तर- समास शब्द का शाब्दिक अर्थ सक्षेप होता है, यानि कि छोटा रूप भी होता है | 

3. तत्पुरुष समास का उदाहरण क्या है?

उत्तर- तत्पुरुष समास के उदाहरण (Tatpurush Samas Ke Udaharan)-
1. राजा का कुमार- राजकुमार, 2. धर्म का ग्रन्थ- धर्मग्रंथ आदि | 

4. नीलकंठ में कौन-सा समास है?

उत्तर- नीलकंठ में बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) होता है, क्युकी इसके दोनों पद ही किसी अन्य की विशेषता को बता रहें है यानि कि दोनों पद ही प्रधान न होकर कोई तीसरा अन्य पद प्रधान है | 

5. महादेव में कौन-सा समास है?

उत्तर- महादेव में बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) है, क्युकी महान है जो देव- महादेव | 

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