Bhasha Kise Kahate Hain- भाषा की परिभाषा, रूप, महत्त्व |

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हेलो दोस्तों आपका स्वागत है, आजकी हमारी भाषा किसे कहते है (Bhasha Kise Kahate Hain) पोस्ट में | आज हम जानेंगे, कि भाषा की परिभाषा (Bhasha Ki Paribhasha), भाषा के रूप (Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain) और भाषा के महत्व आदि भाषा से जुडी हुई कई रोचक और उपयोगी जानकारी आज मैं आपको अपनी इस पोस्ट में दूँगा | जिसे पढ़कर आप समझ जाओंगे, कि भाषा किसे कहते है (Bhasha Kise Kahate Hain) |

हमारी इस पृथ्वी पर विभिन्न संस्कृति वाले लोग रहते है, जिनकी वेश-भूषा, रूप और भाषा सब अलग-अलग होती है | भाषा को हम एक साधन के रूप में भी जान सकते है, जिसकी सहायता से हम अपने मन के भाव को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकते है | लेकिन जिस भाषा का प्रयोग अपने भाव को प्रकट करने के लिए व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है, उस भाषा का ज्ञान दोनों व्यक्ति को होना आवश्यक है | तभी वह उन भावों को समझ सकता है | 

भाषा किसे कहते है? (Bhasha Kise Kahate Hain)-

Bhasha Kise Kahate Hain– भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावो को बोलकर या लिखकर व्यक्त कर सकता है और दूसरे व्यक्ति को अपने मन के भाव समझा सकते है और दूसरे व्यक्ति के मन के भाव को सुनकर या पढ़कर समझ सकते है | यानि कि भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा दो व्यक्ति आपस में अपने मन के भाव को व्यक्त कर संके | लेकिन भाषा के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त करने के लिए दोनों व्यक्ति जो भावों को व्यक्त करना चाहते है को उस भाषा का पूरा ज्ञान होना आवश्यक है | 

भाषा की परिभाषा क्या है? (Bhasha Ki Paribhasha)-

अब हम जब जान ही चुके है की भाषा किसे कहते है (Bhasha Kise Kahate Hain), तो आइये अब हम Bhasha Ki Paribhasha जानते है | 

Bhasha Ki Paribhasha– भाषा एक ऐसा साधन है, जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति तक ध्वनि के माध्यम से अपने विचारों/भावनाओं को व्यक्त कर संके | 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

भाषा के प्रकार (Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain)-

भाषा को बोलने, लिखने और समझने के आधार पर भाषा के 3 प्रकार/रूप (Bhasha Ke Roop) होते है | 

  1. मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha)
  2. लिखित भाषा (Likhit Bhasha)
  3. सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha)

1. मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain)-

भाषा के जिस रूप के द्वारा एक व्यक्ति अपने मन के भावों/विचारों को बोलकर प्रकट करता है और किसी अन्य दूसरे व्यक्ति के विचारों/भावों को सुनकर ग्रहण करता है | उसे ही मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha) कहते है | 

मौखिक भाषा के उदाहरण (Maukhik Bhasha ke udaharan) जैसे हम किसी व्यक्ति फोन की सहायता से बातचीत करते है, तो तब हम मौखिक भाषा का प्रयोग करते है | 

2. लिखित भाषा (Likhit Bhasha Kise Kahate Hain)-

जब एक व्यक्ति अपने मन के भाव या विचारों को लिखकर प्रकट करता है, तो उस भाषा को लिखित भाषा (Likhit Bhasha) कहते है | 

लिखित भाषा के उदाहरण (Likhit Bhasha ke udaharan)- पत्र, अख़बार, कहानी आदि | 

3. सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha Kise Kahate Hain)-

सांकेतिक भाषा जिसे हम संकेत भाषा के नाम से भी जानते है और जिसको हम विभिन्न प्रकार के दृश्य संकेतों के सहायता से व्यक्त करते है | इस भाषा में बोलने वाले विचारों को धाराप्रवाह रूप से व्यक्त करने के लिए हाथ के आकार, विन्यास और संचालन और हाव-भाव का एक साथ उपयोग किया जाता है | इसे ही सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha) कहते है | 

सांकेतिक भाषा के उदाहरण (Sanketik Bhasha ke udaharan) एक छोटा बच्चा अपनी माता को अपनी परेशानी सांकेतिक भाषा के रूप में ही व्यक्त करती है | 

भाषा के कितने अंग होते है? (Bhasha Ke Ang)-

भाषा के 5 अंग (Bhasha Ke Ang) होते है | 

  1. ध्वनि- हमारे मुख से निकलने वाली सभी स्वतंत्र आवाज को ध्वनि कहते है और ध्वनि सिर्फ मौखिक भाषा में ही उपयोग आती है | 
  2. वर्ण- ऐसी मूल ध्वनि जिसके और अधिक टुकड़े न किये जा संके | 
  3. शब्द- वर्णो का वह समूह जिसका कोई अर्थ निकलता हो, उसे ही शब्द कहते है | 
  4. वाक्य- वाक्य सार्थक शब्दों के उस समुह जिसका कोई अर्थ ही न निकलता हो, उसे वाक्य कहते है | जैसे- राम हिंदी भाषा पढ़ रहा है “हिंदी है रहा राम पढ़ भाषा” इसका कोई अर्थ नहीं निकल रहा है, इसलिए इसे हम वाक्य नहीं कह सकते है | 
  5. लिपि- मौखिक भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए जिन चिह्नों का उपयोग किया जाता है, उसे लिपि कहते है | 

भाषा की प्रकृति?

भाषा के अपने गुण या स्वभाव को ही भाषा की प्रकृति कहते है | भाषा की प्रकृति परम्परागत और अर्जित दोनों है, जीवित भाषा ‘बहते जल की तरह सदा प्रवाहित होती रहती है और भाषा के दो रूप होते है | 

  1. कथित 
  2. लिखित 

देश और काल के अनुसार भाषा अनेक रूप में बटीं रहती है और इसी वजह से हमारे संसार में अनेकों भाषाएँ प्रचलित है | 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

भाषा का महत्व?-

भाषा इंसान को अन्य पशु-पक्षी से अलग करती है, क्युकी संसार के सभी प्राणियों के पास अपनी भाषाएँ है | लेकिन विचार और भाव प्रदान करने वाली भाषा केवल मनुष्य के पास है | भाषा विचार के आदान प्रदान का एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है | भाषा की वजह से मनुष्य संसार का सर्वश्रेष्ट प्राणी बन चूका है | भाषा समाज का ज्ञान सुरक्षित रहता है और भाषा सामाजिक एकता में भी सहायता प्रदान करता है | 

भाषा की विशेषताएं?-

भाषा की विशेषताएं निम्न है | 

  • भाषा कोई पैतृक सम्पति नहीं है | 
  • भाषा अधयंत सामाजिक वस्तु है | 
  • भाषा एक अर्जित सम्पति है | 
  • भाषा का अर्जन अनुकरण द्वारा होता है | 
  • भाषा चिरपरिवर्तनशील है | 
  • भाषा एक परंपरा है, व्यक्ति उसे अर्जन कर सकता है लेकिन उत्पन्न नहीं कर सकता है | 
  • सभी भाषाओँ की एक भौगोलिक सीमा होती है | 
  • सभी भाषाओँ की एक ऐतहासिक सीमा होती है | 
  • भाषा का कोई आंखरी स्वरूप नहीं है | 
  • सभी भाषाओँ की अलग-अलग संरचना होती है |  

FAQs-

1. भाषा किसे कहते है यह कितने प्रकार के होते है? 

उत्तर- भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा एक व्यक्ति अपने मन के भाव और विचारों को दूसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करके उस तक पहुँचाते है, उसे ही भाषा कहते है | भाषा के मुख्य रूप से 3 प्रकार होते है | 
1. मौखिक भाषा, 2. लिखित भाषा और 3. सांकेतिक भाषा 

2. भाषा का उदाहरण क्या है?

उत्तर- भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा हम अपने मन के विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकते है | जैसे- बोलकर, लिखकर आदि | 

3. भाषा के कितने अंग होते है?

उत्तर- भाषा के 5 अंग होते है, जो निम्न है |-1. ध्वनि, 2. वर्ण, 3. शब्द, 4. वाक्य, 5. लिपि 

4. राष्ट्रीयभाषा कौन सी है?

उत्तर- भारत देश की कोई भी राष्ट्रीय भाषा नहीं है, लेकिन दफ्तरों में कामकाज के लिए और एक आधार भाषा के लिए हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया है | 

5. हिंदी भाषा के तीन अर्थ कौन से है?

उत्तर- हिंदी भाषा के तीन अर्थ निम्न है |-1. व्यापक अर्थ, 2. सामान्य अर्थ और 3. विशिष्ट अर्थ 

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