अलंकार किसे कहते है कितने प्रकार के होते है? (Alankar Ki Paribhasha)

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हेलो दोस्तों आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे | अलंकार किसे कहते है, कितने प्रकार के होते है और Alankar Ki Paribhashaअलंकार (Alankar) शब्द आपने कई बार सुना होंगा और अपनी हिंदी व्याकरण की किताब में आपने पढ़ा भी होंगा, कि Alankar Kya Hota Hai. आज में आपको बताऊँगा, कि आखिर Alankar Kise Kahate Hain और Alankar Ki Paribhasha क्या है | आज में आपको अपनी इस पोस्ट में Alankar Ki Paribhasha क्या है और Alankar Ke Bhed क्या है, के बारें में आज आपको में अपनी इस पोस्ट में बताऊँगा | 

अलंकार की परिभाषा क्या है? (Alankar Ki Paribhasha)-

Alankar Kise Kahate Hain जानने से पहले आइये हम Alankar Ki Paribhasha क्या है, के बारें में जानते है | अलंकार की परिभाषा (Alankar Ki Paribhasha) अलंकार वह शब्द होते है, जो काव्य व रचना की शोभा को बढ़ाते है | ऐसे शब्दों को ही अलंकार (Alankar) कहते है | यह अलंकार की परिभाषा है, आइये अब हम सरल भाषा में जानते है, कि Alankar Kise Kahate Hain. 

अलंकार किसे कहते है? (Alankar Kise Kahate Hain)-

आज में आपको Alankar Kise Kahate Hain के बारें में बताता हूँ | अलंकार उन शब्दों को कहते है, जिन्हे काव्य में प्रयोग करके काव्य की शोभा को बढ़ाया जाता है | जिस प्रकार एक स्त्री की शोभा उसके आभूषण होते है, उसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दोंको काव्य का आभूषण यानि कि अलंकार (Alankar) कहते है | 

अब आप जान चुके है, कि अलंकार की परिभाषा क्या है (Alankar Ki Paribhasha) और अलंकार किसे कहते है | (Alankar Kise Kahate hain) आइये अब हम जानते है, कि अलंकार के भेद (Alankar Ke Bhed) क्या है | 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

अलंकार के कितने प्रकार होते है? (Alankar Ke Bhed)-

अब आप जान ही चुके है, Alankar Ki Paribhasha, कि अलंकार (Alankar) काव्य व रचना की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को कहते है | आइये अब हम जानते है, कि अलंकार के कितने प्रकार होते है? (Alankar Ke Prakar) यानि कि अलंकार के भेद (Alankar Ke Bhed) कितने होते है | 

  1. शब्दालंकार (Shabdalankar)
  2. अर्थालंकार (Arthalankar)
  3. उभयालंकार (Ubhaya Alankar)

शब्दालंकार की परिभाषा क्या है? (Shabd alankar Ki Paribhasha)-

अलंकार के काव्य व रचना की शोभा को बढ़ाने वाले शब्द को शब्दालंकार (Shabdalankar) कहते है | जैसे- किसी शब्द से काव्य व रचना की शोभा बढ़ जाए लेकिन उस शब्द के पर्यावाची से उसकी शोभा बिलकुल गायब हो जाएँ | तो ऐसे अलंकार को शब्दालंकार (Shabdalankar) कहते है | 

शब्दालंकार के भेद (Shabdalankar Ke Bhed)-

Shabdalankar Ke Bhed की बात की जाए, तो इसके 6 भेद होते है | 

  1. अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)
  2. यमक अलंकार (Yamak Alankar)
  3. पुनरुक्ति अलंकार (Punarukti Alankar)
  4. विप्सा अलंकार (Vipsa Alankar)
  5. वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar) 
  6. श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)

1. अनुप्रास अलंकार किसे कहते है? (Anupras Alankar)-

Anupras Alankar Ki Paribhasha- किसी भी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, तब जो उसमे चमत्कार होता है | उसे अनुप्रास अलंकार कहते है | अनुप्रास अलंकार के उदाहरण (Anupras Alankar Ke Udaharan)-

  • जनं रंजन भंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप 
  • रघुपति राघव राजाराम | पतित पावन सीताराम | | 

2. यमक अलंकार किसे कहते है? (Yamak Alankar Ki Paribhasha)-

जब किसी एक शब्द का उपयोग काव्य व रचना में बार-बार हो और प्रत्येक बार अर्थ अलग-अलग हो | उसे यमक अलंकार (Yamak Alankar) कहते है | यमक अलंकार का उदहारण क्या है? (Yamak Alankar Ke Udaharan)-

  • कनक-कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय | वा खाए बौराय जग, या पाए बौराय | | 
  • सपना सपना समझकर भूल न जाना | 

3. पुनरुक्ति अलंकार किसे कहते है? (Punarukti Alankar)-

जब भी कभी किसी वाक्य में किसी शब्द को 2 बार उपयोग किया जाए, यानि कि 2 बार किसी भी शब्द की पुनरावृति हो | तो उसे पुनरुक्ति अलंकार (Punarukti Alankar) कहते है | पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण (Punarukti Alankar Ke Udaharan)-

  • थी ठौर-ठौर विहार करती सुन्दर सुरनारियाँ | 
  • जुगन-जुगन समझावत हारा, कहा न मानत कोई रे | 

4. विप्सा अलंकार किसे कहते है? (Vipsa Alankar)-

जो अलंकार मन के विभिन्न भावों (हर्ष, शोक आदि | ) को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों का उपयोग किया जाता है, उसे ही विप्सा अलंकार (Vipsa Alankar) कहते है | विप्सा अलंकार के उदाहरण (Vipsa Alankar ke Udaharan)-

  • राधा मन मोही मोही मोहन मयी मयी | 
  • मोही मोही मोहन को मन भयो राधामय | 

5. वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar)-

जब वक्ता द्वारा बोले बोले गए शब्दों का शब्दों द्वारा अलग-अलग अर्थ निकले, तो उसे वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar) कहते है | वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण (Vakrokti Alankar Ke Udaharan)-

   1. एक कह्यौ वर देत भव भाव चाहिए चित | 

           सुनि कह कोउ भोले भवहिं भाव चाहिए मित | | 

वक्रोक्ति अलंकार के प्रकार (Vakrokti Alankar Ke Prakar)-वक्रोक्ति अलंकार 2 प्रकार के होते है | 

  1. काकु अक्रोक्ति अलंकार 
  2. श्लेष वक्रोक्ति अलंकार 

6. श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)-

Shelsh Alankar ki Paribhasha– जब किसी भी वाक्य में एक शब्द से दूसरा शब्द जुड़ा हो और प्रत्येक शब्द के साथ उस शब्द का अर्थ भी भिन्न-भिन्न हो, तो उसे श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar) कहते है | 

श्लेष अलंकार के उदाहरण (Shlesh Alankar Ke Udaharan)-

  • रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून | पानी गए न उबरै मोती मानस चुन | | 
  • जो चाहो चटक न घटे, मेंला होय न मित राज राजस | | 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

अर्थालंकार (Arthalankar)-

जब कभी किसी काव्य में अर्थों के माध्यम से चमत्कार होता है और काव्य की शोभा बढ़ाते है, उन्हें अर्थालंकार (Arthalankar) कहते है | आइये अब हम अर्थालंकार के भेद कितने होते है, के बारें में जानते है | 

अर्थालंकार के भेद कितने होते है? (Artha Alankar Ke Bhed)-

अर्थालंकार के भेद (Arthalankar Ke Bhed) निम्न है | 

  1. उपमा अलंकार 
  2. रूपक अलंकार 
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार 
  4. द्रष्टान्त अलंकार 
  5. संदेह अलंकार 
  6. अतिश्योक्ति अलंकार 
  7. उपमेयोपमा अलंकार 
  8. प्रतीप अलंकार 
  9. अनन्वय अलंकार 
  10. भ्रांतिमान अलंकार 
  11. दीपक अलंकार 
  12. अपह्ति अलंकार 
  13. व्यक्तिरेक अलंकार 
  14. विभावना अलंकार 
  15. विशेषोक्ति अलंकार 
  16. अथात्नरन्यास अलंकार 
  17. उल्लेख अलंकार 
  18. विरोधाभास अलंकार 
  19. असंगति अलंकार 
  20. मानवीकरण अलंकार 
  21. अन्योक्ति अलंकार 
  22. काव्यलिंग अलंकार 
  23. स्वभोक्ति अलंकार 
  24. कारणमाला अलंकार 
  25. पर्याय अलंकार 
  26. समासोक्ति अलंकार 

उभयालंकार किसे कहते है? (Ubhaya Alankar)-

जिस अलंकार में शब्दालंकार और अर्थालंकार का योग होता है, ऐसे अलंकार को उभयालंकार (Ubhaya Alankar) कहते है | आइये अब हम उभयालंकार के उदाहरण (Ubhaya Alankar Ke Udaharan) क्या है, के बारें में जानते है | 

  • कजरारी अखियन में कजरारी न लखाय 

उभयालंकार के भेद कितने होते है? (Ubhaya Alankar)-

उभयालंकार के भेद (Ubhaya Alankar Ke Bhed) 2 होते है | 

  1. संसृष्टि उभयालंकार 
  2. संकर उभयालंकार

संसृष्टि उभयालंकार-

तिल-तंडुल-न्याय से परस्पर-निरपेक्ष अनेक अलंकारों की स्थिति संसृष्टि उभयालंकार कहते है | संसृष्टि उभयालंकार के उदाहरण निम्न है | 

  • मनी माय रचित चारों चोबरे | जनू रतिपति निज हाथ सवारे | 
  • भुक्ति भुवन शोभा सुहावा | सुरपति सदनु न परतर पावा | 

संकर उभयालंकार-

नीर क्षीर न्याय से परस्पर मिश्रित अलंकार संकर अलंकार कहते है | संकर अलंकार के उदाहरण निम्न है | 

  • सठ सुधरी संग संगती पाई पारस परस खुदा तो सुहाई | 

FAQs-

1. अलंकार किसे कहते है कितने प्रकार के होते है?

उत्तर- जिन शब्दों से काव्य व रचना की शोभा बढे, ऐसे शब्दों को ही अलंकार (Alankar) कहते है | अलंकार 3 प्रकार के होते है | 1. शब्दालंकार, 2. अर्थालंकार, 3. उभयलाकर

2. अलंकार का उदाहरण क्या है?

उत्तर- अलंकार का उदाहरण “रहिमन पानी रखिए, बिन पानी सब सून | पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून | |

3. यमक अलंकार का उदाहरण क्या है?

उत्तर- यमक अलंकार का उदाहरण निम्न है | कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय | या खाए बौराय जग, वा पाए बौराय | | 

4. जय हनुमान ज्ञान गुण सागर में कौन-सा अलंकार है?

उत्तर- जय हनुमान ज्ञान गुण सागर | जय कपीस तिहु लोक उजागर” | में अन्त्यानुप्रास अलंकार है | 

5. रूपक अलंकार का उदहारण कौन-सा है?

उत्तर- रूपक अलंकार का उदाहरण- पायों जी मैंने राम रतन धन पायो | 

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