Ras Ki Paribhasha- रस क्या है? | रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण |

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हेलो दोस्तों आपका स्वागत है, आज हम बात करेंगे | कि रस क्या है? रस के भेद कौन-कौन से है और रस के उदाहरण कौन से है Ras Ki Paribhasha और रस से जुडी हुई सभी जानकारी आज में आपको दूँगा | रस आपके हिंदी व्याकरण भाग का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो आपको कई प्रतियोगिता परीक्षा (Competition Exam) में पूछा जाता है | इसलिए आप School Student हो या College Student आपको रस का ज्ञान होना ही चाहिए | क्युकी रस आपको कई Exams में पूछा जाता है | इसलिए आज में आपको रस क्या होता है और Ras Ki Paribhasha और रस से जुडी हुई कई मुख्य जानकारी आज में प्रदान करूंगा | 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

रस किसे कहते है और कितने प्रकार के होते है?- (Ras Kise Kahate Hain)-

रस का शाब्दिक अर्थ होता है, आनंद | जब किसी काव्य को पढ़ने और सुनने से जो आनंद की प्राप्ति होती है, उसे ही रस कहते है | जिस कथन में रस नहीं होता है, उसे काव्य नहीं कहाँ जा सकता है | रस काव्य रचना का एक आवश्यक अवयव है | रस को सरल शब्दों में इस प्रकार से समझा जा सकता है | 

रस का अर्थ सरल शब्दों में- नाटक, कविता और कहानी आदि के पढ़ने, सुनने या देखने से पाठक को जो आनंद की अनुभूति होती है, उसे ही रस कहते है | रस मुख्य रूप से 11 प्रकार के होते है | 

रस की परिभाषा उदाहरण सहित (Ras Ki Paribhasha)-

Ras Ki Paribhasha जिस काव्य को पढ़ने, सुनने से हमे जो आनंद की प्राप्ति होती है, उसे ही रस कहते है | रस का शाब्दिक अर्थ आनंद होता है | रस के 4 अंग होते है और रस के भेद (Ras Ke Prakar) 11 होते है | 

रस के प्रमुख 4 तत्व क्या है?

रस के प्रमुख रूप से 4 तत्व होते है | 

  1. स्थाई भाव (Sthai Bhav)
  2. विभाव (Vibhav)
  3. अनुभाव (Anubhav)
  4. संचारी भाव (Sanchari Bhav)

1. स्थाई भाव (Sthai Bhav)-

Sthai Bhav Ki Paribhasha– स्थाई भाव का अभिप्राय प्रधान भाव से होता है | स्थाई भाव पुरे काव्य एवं नाटक में शुरुवात से अंत तक होता है, विद्वानों ने स्थाई भाव की संख्या 9 बताई है | प्रत्येक रस का अपना एक स्थाई भाव होता है | लेकिन बाद में कुछ विद्वानों ने रसों की संख्या में 2 रस और जोड़ दिए | जिससे स्थाई भाव भी 2 और बढ़कर रस और स्थाई भाव की संख्या 11 हो गयी | 

रस  स्थाई भाव 
भयानकभय
हास्यहास
शोककरुण
क्रोधरौद्र
विस्मयअद्भुत
वत्सलवात्सल्य
जुगुत्सावीभत्स
निर्वेदशांत
उत्साहवीर
अनुरागभक्ति रस
श्रृंगार रसरति

2. विभाव (Vibhav Kise Kahate Hain)-

कोई व्यक्तिपदार्थ और कारण जब किसी व्यक्ति के ह्रदय में स्थाई भाव को जागृत तथा उदीप्त करते है, तो उसे विभाव(Vibhav) कहते है | विशेष रूप से भावो को प्रकट करने वाले को ही विभाव कहते है, यह 2 प्रकार के होते है | 1. आलंबन विभाव 2. उद्दीपन विभाव 

1. आलंबन विभाव- 

जब किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के कारण कोई भाव जागृत होता है, तो उस व्यक्ति अथवा वस्तु के उस भाव को आलंबन विभाव कहते है | उदाहरण- नायक और नायिका का प्रेम आलंबन विभाव के 2 पक्ष होते है | 

  1. आश्रयालंबन विभाव 
  2. विषयालंबन विभाव

जिसके मन में भाव जागृत होते है, उसे आश्रयालंबन विभाव कहते है और जिसके कारण मन में भाव जगे उसे विषयालंबनविभाव कहते है | 

2. उद्दीपन विभाव-

जिन वस्तुओं और परिस्थिति को देखकर आश्रय के मन में जो स्थाई भाव उद्दीप्त होते है, उसे ही उद्दीपन विभाव कहते है | 

उदाहरण- एकांत स्थल, सीता को देखकर राम के मन में आकर्षण (रति भाव) उत्पन्न होता है | 

3. अनुभाव-

आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव के सयोंग के कारण जो कार्य होता है, उसे अनुभाव कहते है | शास्त्र के अनुसार आश्रय के मन के भावों को व्यक्त करने वाली सभी शारारिक चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती है | 

4. संचारी भाव-

ऐसे भाव जिनका कोई स्थाई कार्य नहीं होता, संचारी भाव कहलाते है | यह भाव एकदम ही उत्पन्न होते है और एकदम ही खत्म होते है | संचारी भाव रस का अंतिम महत्वपूर्ण अंग होता है | 

रस के प्रकार (Ras Ke Prakar)-

रस के मुख्य रूप से 11 प्रकार होते है, जो निम्न है | 

  1. श्रृंगार रस (Shringar Ras)
  2. हास्य रस (Hasya Ras)
  3. करुण रस (Karun Ras)
  4. रौद्र रस (Raudra Ras)
  5. वीर रस (Veer Ras)
  6. भयानक रस (Bhayanak Ras)
  7. वीभत्स रस (Vibhats Ras)
  8. अद्भुत रस (Adbhut Ras)
  9. शांत रस (Shant Ras)
  10. वात्सल्य रस (Vatsalya Ras)
  11. भक्ति रस (Bhakti Ras)

ये रस के प्रकार है, जिनके बारें में अच्छे से हम आगे अपनी इस पोस्ट में जानेंगे | 

Note :- अगर आप जाना चाहते है |

1. श्रृंगार रस का अर्थ क्या है? (Shringar Ras Ki Paribhasha)-

श्रृंगार रस का अर्थ क्या है (Shringar Ras Ki Paribhasha)
श्रृंगार रस का अर्थ क्या है (Shringar Ras Ki Paribhasha)

Shringar Ras Ki Paribhasha- श्रृंगार रस रसों में प्रथम रस है और इसे ‘रसों का राजा’ भी कहाँ जाता है | जिस रस में नायक-नायिका और महिला-पुरुष की प्रेम पूर्वक क्रिया किलापों का श्रेष्ठाक वर्णन होता है, उस रस को श्रृंगार रस(Shringar Ras) कहते है | श्रृंगार रस का स्थाई भाव रति होता है | 

श्रृंगार रस का उदाहरण क्या है? (Shringar Ras Ke Udaharan)-

1. तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये | झके कुल सों जल परसन हित मनुह सुहाये | | 

श्रृंगार रस में दुखद और सुखद दोनों की अनुभूति होती है, इस आधार पर श्रृंगार रस के 2 भेद किए गए है | 1. संयोग श्रृंगार और 2. वियोग श्रृंगार 

1. संयोग श्रृंगार 

जब किसी कविता में नायक-नायिका के दर्शनस्पर्शवार्तालापसयोंग या मिलन का वर्णन किया गया है, तब उसे सयोंग श्रृंगार कहते है | 

उदाहरण- राम के रूप निराहति जानकी, कंकन के नग की परछाई | 

                   याते सबै सुधि भूलि गई कर टेक रही पल टारत नाहीं | | 

अर्थ- माता सीता भगवान श्रीराम के चेहरे को अपने कंकन के नग में देखती है और वह इसे देखते हुए इतनी खो जाती है, की अपने पलक झपकना भी भूल जाती है | 

2. वियोग श्रृंगार 

जहाँ पर नायक और नायिका के बीच परस्पर प्रेम होने के बाद भी उनका मिलन नहीं हो पाता, तो उसे वियोग श्रृंगार रस कहते है | वियोग श्रृंगार रस को विप्रलंभ श्रृंगार रस भी कहते है | 

उदाहरण- निसिदिन बरसत नयन हमारे, 

                   सदा रहति पावस ऋतू हम पै जब ते श्याम सिधारे | 

अर्थ- यहाँ पर नायक-नायिका अपने प्रेमी के वियोग में व्याकुल है और उनकी आँखों से आँसू रुक नहीं रहे है | 

2. हास्य रस का अर्थ क्या है? (Hasya Ras Ki Paribhasha)-

हास्य रस का अर्थ क्या है (Hasya Ras Ki Paribhasha)
हास्य रस का अर्थ क्या है (Hasya Ras Ki Paribhasha)

Hasya Ras Ki Paribhasha- किसी व्यक्ति की वेशभूषावाणीक्रियाकलापरहन-सहन आदि को देखकर या सुनने से मन में जो उल्लास प्रकट होता है | उसे ही हास्य रस (Hasya Ras) कहते है | हास्य रस का स्थाई भाव हास होता है | 

Hasya Ras 2 Prakar Ke Hote Hai-

1. आत्मस्थ हास्य रस- जहाँ पर केवल देखने मात्र से ही हास्य उत्पन्न होता है, उसे आत्मस्थ हास्य रस कहते है | 

2. परस्य हास्य रस- जहाँ पर किसी दूसरे व्यक्ति को देखने से जो हास्य प्रकट होता है, उसे परस्य हास्य रस कहते है | 

हास्य रस का उदाहरण क्या है? (Hasya Ras Ka Udaharan)-

Hasya Ras Ka Udaharan निम्न है |-

1. कहां बंदरिया ने बन्दर से चलो नहाने चले गंगा | 

         बच्चों को छोड़ेंगे घर पे होने दो हुड़दंगा | | 

अर्थ- इस उदाहरण में बन्दर और बंदरिया बच्चों को घर में छोड़कर गंगा जाकर नहाने की सोचते है | 

3. करुण रस का अर्थ क्या है? (Karun Ras Ki Paribhasha)-

Karun Ras Ki Paribhasha- जब अपनी किसी प्रिय वस्तु की हानि, विनाश, वियोग एवं प्रेमी से सदैव के लिए बिछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है, उसे करुण रस (Karun Ras) कहते है | करुण रस का स्थाई भाव शोक होता है | 

करुण रस का उदाहरण क्या है? (Karun Ras Ka Udaharan)-

Karun Ras Ka Udaharan निम्न है |-

1. करहिं विलाप अनेक प्रकारा | परिहिं भूमि तल बारहिं बारा | | 

अर्थ- यहाँ पर रानियों के रोने और विलाप करने का बोध हो रहा है, अतः यहाँ पर करुण रस विधमान है | 

4. रौद्र रस का अर्थ क्या है? (Raudra Ras Ki Paribhasha)-

Raudra Ras Ki Paribhasha– जब किसी विरोधी पक्ष या दूसरे व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति, समाज, देश का अपमान करने पर उस व्यक्ति में क्रोध की प्रतिक्रिया होती है, तो उसे रौद्र रस (Raudra Ras) कहते है | रौद्र रस का स्थाई भाव क्रोध होता है | 

रौद्र रस का उदाहरण क्या है? (Raudra Ras Ka Udaharan)-‘

Raudra Ras Ka Udaharan निम्न है | 

1. श्री कृष्णा के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे | 

       सब शोक अपना भुलाकर, करतल युग मलने लगे | | 

5. वीर रस का अर्थ क्या है? (Veer Ras Ki Paribhasha)-

Veer Ras Ki Paribhasha– जब हम किसी युद्ध या कठिन कार्य को करने जाते है, तो उसे करने का जो ह्रदय में उत्साह उत्पन्न होता है | उस उत्साह को वीर रस (Veer Ras) कहते है | 

वीर रस का उदाहरण क्या है? (Veer Ras Ka Udaharan)-

Veer Ras Ka Udaharan निम्न है |-

1. बुंदेल हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी | 

       खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी | | 

6. भयानक रस का अर्थ क्या है? (Bhayanak Ras Ki Paribhasha)-

Bhayanak Ras Ki Paribhasha– जब किसी भयानक वस्तु, व्यक्ति, दृश्य या जीव को देखने या सुनने को मिलता है या उनके सिर्फ स्मरण से ही मन में भय नामक भाव उत्पन्न होता है | तो उसे भयानक रस (Bhayanak Ras) कहाँ जाता है | भयानक रस का स्थाई भाव भय होता है | 

भयानक रस का उदाहरण क्या है? (Bhayanak Ras Ka Udaharan)-

Bhyanak Ras Ka Udaharan निम्न है |-

1.  एक ओर अजगरहि लखि, एक और मृगराय | 

        विकल बटोही बीच ही परयो मुछा खाए | 

7. वीभत्स रस का अर्थ क्या है? (Vibhats Ras Ki Paribhasha)-

Vibhats Ras Ki Paribhasha- जब किसी वस्तुव्यक्ति, को देखकर या उनके बारें में विचार करके मन में जो घृणा उत्पन्न होती है, उसे वीभत्स रस (Vibhats Ras) कहाँ जाता है | इस वीभत्स रस का स्थाई भाव जुगुप्सा होता है | 

वीभत्स रस का उदाहरण क्या है? (Vibhats Ras Ka Udaharan)-

Vibhats Ras Ka Udaharan निम्न है | 

1.  सिर पर बैठ्यो काग, आंख दोउ खात निकारत | 

        खींचत जिभहि स्यार, अतिहि आनंद उर धारत | | 

अर्थ- इस उदाहरण में शव को बाज़ और सियार द्वारा खाते हुए घृणा विषय को बताया गया है | 

8. अद्भुत रस का अर्थ क्या है? (Adbhut Ras Ki Paribhasha)-

Adbhut Ras Ki Paribhasha– जब कोई व्यक्ति किसी आश्चर्यजनक वस्तु या व्यक्ति को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे ही अद्भुत रस (Adbhut Ras) कहते है | अद्भुत रस का स्थाई भाव आश्चर्य होता है | 

अद्भुत रस का उदहारण क्या है? (Adbhut Ras Ka Udaharan)-

Adbhut Ras Ka Udaharan निम्न है | 

1. देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया | 

       क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया | | 

9. शांत रस का अर्थ क्या है? (Shant Ras Ki Paribhasha)-

Shant Ras Ki Paribhasha- वह काव्य रचना जिसको पढ़ने या सुनने से श्रोता के मन में जो निर्वेद या वैराग्य नामक स्थाई भाव की उत्पति होती है, उस ही शांत रस (Shant Ras) कहते है | शांत रस का स्थाई भाव निर्वेद होता है | 

शांत रस का उदाहरण क्या है? (Shant Ras Ka Udaharan)-

Shant Ras Ka Udaharan निम्न है |-

1. जब मैं था हरि नहिं अब हरि है मैं नहिं,

       सब अधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं | 

10. वात्सल्य रस का अर्थ क्या है? (Vatsalya Ras Ki Paribhasha)-

Vatsalya Ras Ki Paribhasha- माता-पिता का संतान के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई-बहन का छोटे भाई-बहन के प्रति प्रेम आदि भाव स्नेह कहलाता है और यहीं स्नेह का भाव परिपृष्ठ होकर वात्सल्य रस (Vatsalya Ras) कहलाता है | वात्सल्य रस (Vatsaly Ras) का स्थाई भाव वत्सल कहलाता है | 

वात्सल्य रस का उदाहरण क्या है? (Vatsalya Ras Ka Udaharan)-

Vatsalya Ras Ka Udaharan निम्न है | 

1.  बाल दसा सुख निरखि जशोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति, 

        अंचरा तर लै ढाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति | 

11. भक्ति रस का अर्थ क्या है? (Bhakti Ras Ki Paribhasha)-

Bhakti Ras Ki Paribhasha– इस रस में अपने अराध्य देव और ईश्वर की अनुरक्ति तथा अनुराग का वर्णन किया जाता है, इस रस के अंतर्गत प्रभु की भक्ति और गुणगान को देखा जा सकता है | इस रस को भक्ति रस (Bhakti Ras) कहते है | भक्ति रस का स्थाई भाव अनुराग होता है | 

भक्ति रस का उदाहरण क्या है? (Bhakti Ras Ka Udaharan)-

Bhakti Ras Ka Udaharan निम्न है |-

1. राम जपु, राम जपु, राम जपु, वावरे | 

        घोर भव नीर निधि, नाम निज नाव रे | | 

FAQs-

1. रस किसे कहते है और कितने प्रकार के होते है?

उत्तर- किसी काव्य को पढ़ने से या सुनने से मन में जो भाव उत्पन होते है, वह रस कहलाते है | जिस काव्य में रस नहीं उसे काव्य नहीं कहाँ जा सकता है और रस के 11 प्रकार होते है | 

2. रस के कितने अंग होते है?

उत्तर- रस के मुख्य रूप से 4 अंग होते है | 
 1. स्थाई भाव, 2. विभाव, 3. अनुभाव, 4. संचारी भाव | 

3. सर्वश्रेष्ठ रस कौन-सा है?

उत्तर- श्रृंगार रस (Shringar Ras) को सभी रसों में सबसे सर्वश्रेष्ठ रस माना जाता है और श्रृंगार रस को ‘रसों का राजा’ भी कहाँ जाता है | 

4. शांत रस का उदाहरण क्या है? 

उत्तर-  शांत रस का उदाहरण- मन रे तन कागद का पुतला | लागे बूँद बिनसि जाए छिन में, गरब करे क्या इतना | 

5. श्रृंगार रस का उदाहरण क्या है?

उत्तर- श्रृंगार रस का उदाहरण- तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये | झके कूल सों जल परसन हित मनहुँ सुहाये | 

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